छठ पूजा से पहले जान ले ये बाते – छठ पूजा, जिसे छठी मैया या छठी देवी के रूप में भी जाना जाता है, एक हिन्दू त्योहार है जो विशेषकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, नेपाल और विभिन्न उत्तर-पश्चिम राज्यों में मनाया जाता है। यह पूजा सूर्य पुत्री छठी मैया (छठी देवी) की पूजा का एक अद्वितीय रूप है और इसमें सूर्य देवता (सूर्य पुत्र) की पूजा भी होती है। छठ पूजा का आयोजन अक्टूबर और नवम्बर के बीच किया जाता है।
इस पर्व में लोग सड़कों पर जल ठाली रखकर, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इसे पूजते हैं। छठ पूजा की मुख्य मान्यता इसमें है कि इसमें माँ छठी की कृपा से बच्चे को बचने की शक्ति प्राप्त होती है और उसके जीवन को सुखमय बनाए रखा जाता है।
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छठ पूजा का आयोजन कई दिनों तक चलता है और इसमें व्रत, पूजा, गाने, नृत्य, संगीत, प्रासाद, और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर मनाए जाते हैं। छठ पूजा में लोग नदी, तालाब, या सागर के किनारे जाकर अर्घ्य अर्पित करते हैं और खासतर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय व्रत का खास ध्यान रखते हैं।
छठ पूजा का आयोजन सामाजिक समृद्धि, सौहार्द, और समरसता की भावना के साथ होता है और लोग इसे बहुत श्रद्धा भाव से मनाते हैं।
छठ पूजा को मनाने का तरीका निम्नलिखित है:
- नहाय खाय:
“नहाय खाय” छठ पूजा के पहले दिन का आयोजन है और इसे व्रती व्यक्ति करता है। इस दिन, व्रती व्यक्ति सबसे पहले नहाकर शुद्धि बनाता है। इसके बाद, उन्हें विशेष प्रकार के आहार का सेवन करना होता है जिसमें फल, सब्जियां, और गेहूं के दाने शामिल होते हैं। यह व्रती व्यक्ति के लिए एक पवित्र अवसर होता है जो उन्हें दैहिक और आध्यात्मिक शुद्धि का अहसास कराता है।
नहाय खाय का आयोजन सुबह के समय होता है, सूर्योदय के बाद। नहाने के बाद, व्रती व्यक्ति को विशेष प्रकार का भोजन तैयार करना पड़ता है, जिसमें फल, सब्जियां, और गेहूं के दाने शामिल होते हैं। इस भोजन को व्रती व्यक्ति अपने परिवार के साथ भी साझा कर सकता है।
नहाय खाय का आयोजन नहाने और शुद्धि प्राप्त करने का एक सांस्कृतिक प्रथा है जो छठ पूजा के आयोजन का पहला और महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- खरना:
- घाट स्थापना:
छठ पूजा का मुख्य रूप से धार्मिक तात्पर्य है सूर्य देवता की पूजा, इसलिए छठी मैया की मूर्ति और छठ घाट स्थापित किया जाता है। यह घाट स्थापना अगले कई दिनों के लिए होती है।
- अर्घ्य:
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय, व्रती व्यक्ति समुद्र या नदी के किनारे जाकर अर्घ्य देता है, जिसमें उन्होंने सूर्य देवता की पूजा की होती है।
- खायबोजन:
व्रत के दौरान, व्रती व्यक्ति विशेष प्रकार के आहार जैसे कि चावल, दाल, और घर में बनाए गए और पवित्रित किए गए खाद्य पदार्थों को ही खाता है।
- गाना-नृत्य:
छठ पूजा में लोग गाने गाते हैं और नृत्य करते हैं, जो छठी मैया की आराधना का हिस्सा है। लोग लोकगीत गाकर और नृत्य करके इस त्योहार को मनाते हैं।
- समापन:
छठ पूजा के आखिरी दिन, व्रती व्यक्ति दोबारा समुद्र या नदी के किनारे जाकर सूर्योदय के समय अर्घ्य देता है और इसके बाद व्रत समाप्त करता है।
- परिवार सभा:
छठ पूजा का त्योहार परिवार के साथ मिलकर बिताने के लिए एक अच्छा मौका होता है। समुद्र या नदी के किनारे परिवार साथ आकर मिलता है और एक दूसरे को आशीर्वाद देता है।
इस प्रकार, छठ पूजा का आयोजन धार्मिक और सामाजिक मामलों में सामंजस्यपूर्ण और समृद्धिपूर्ण होता है।