आप भी शरद पूर्णिमा का पूजा-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोगित है आज में आपको शरद पूर्णिमा के बारे में बताने जा रहा हु। शरद की भीनी- भीनी ठण्ड में श्रद्धालु अपने परिवारजनों के साथ शरद की पूर्णिमा को उत्साह से मनाते हैं. मान्यता हैं इस दिन रात्रि बारह बजे चन्द्रमा से अमृत गिरता हैं और चंद्रमा के इस आशीर्वाद को पाने के लिए खीर अथवा मेवे वाला दूध बनाकर घर की छत पर रखा जाता है, जिसके चारो तरफ परिवारजन बैठकर भजन करते हैं. रात्रि बारह बजे के बाद चन्द्रमा की पूजा की जाती हैं और खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती हैं.
शरद पूर्णिमा का महत्व
यह व्रत सभी मनोकामना पूरी करता हैं. इसे कोजागरी व्रत पूर्णिमा एवम रास पूर्णिमा भी कहा जाता हैं. चन्द्रमा के प्रकाश को कुमुद कहा जाता हैं. इसलिए इसे कौमुदी व्रत की उपाधि भी दी गई हैं. इस दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों संग रास लीला रची थी, जिसे महा रास कहा जाता हैं.
शरद पूर्णिमा के अन्य नाम
क्रमांक | प्रदेश (जहाँ शरद पूर्णिमा मनाते है) | शरद पूर्णिमा को क्या कहा जाता है |
1. | गुजरात | शरद पूर्णिमा – इस दिन वहां लोग गरबा एवं डांडिया रास करते है |
2. | बंगाल | लोक्खी पूजो – देवी लक्ष्मी के लिए स्पेशल भोग बनाया जाता है. |
3. | मिथिला | कोजगारह |
कब मनाई जाती हैं शरद पूर्णिमा
आप भी शरद पूर्णिमा का पूजा-हिंदी पंचांग के अनुसार आश्विन की पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा कहा जाता हैं. इसे उत्तर भारत में अधिक उत्साह से मनाया जाता हैं. कहते हैं इस दिन चन्द्रमा मे सभी 16 कलाओं में रहता हैं. 2023 में यह व्रत 28 अक्टूबर, को मनाया जायेगा.
चन्द्रमा की सुन्दरता इतनी मन मोहक होती हैं कि उसे देखते ही मनुष्य मोहित हो जाता हैं. इस दिन चन्द्रमा के दर्शन से ह्रदय में शीतलता आती हैं. शरद पूर्णिमा पर चाँद जितना सुंदर और आसमान जितना साफ़ दिखाई देता है, वो इस बात का संकेत देता हैं कि मानसून अब पूरी तरह जा चूका हैं.
यह त्यौहार पुरे देश में भिन्न- भिन्न मान्यताओं के साथ मनाया जाता हैं. इस दिन लक्ष्मी देवी की पूजा का महत्व होता हैं. लक्ष्मी जी सुख समृद्धि की देवी हैं, अपनी इच्छा के अनुसार मनुष्य इस दिन व्रत एवम पूजा पाठ करता हैं. इस दिन रतजगा किया जाता हैं. रात्रि के समय भजन एवम चाँद के गीत गायें जाते हैं एवम खीर का मजा लिया जाता हैं.
शरद पूर्णिमा व्रत कथा
आप भी शरद पूर्णिमा का पूजा-प्रचलित कथा हैं : एक साहूकार की दो सुंदर, सुशील कन्यायें थी. परन्तु एक धार्मिक रीती रिवाजों में बहुत आगे थी और एक का इन सब मे मन नहीं लगता था. बड़ी बहन सभी रीती रिवाज मन लगाकर करती थी, पर छोटी आनाकानी करके करती थी. दोनों का विवाह हो चूका था. दोनों ही बहने शरद पूर्णिमा का व्रत करती थी, लेकिन छोटी के सभी धार्मिक कार्य अधूरे ही होते थे. इसी कारण उसकी संतान जन्म लेने के कुछ दिन बाद मर जाती थी. दुखी होकर उसने एक महात्मा से इसका कारण पूछा, महात्मा ने उसे बताया तुम्हारा मन पूजा पाठ में नहीं हैं इसलिए तुम शरद पूर्णिमा का व्रत करों, महात्मा की बात सुनकर उसने किया, परन्तु फिर उसका पुत्र जीवित नहीं बचा. उसने अपनी मरी हुई सन्तान को एक चौकी पर लिटा दिया और अपनी बहन को घर में बुलाया और अनदेखा कर बहन को उस चौकी पर ही बैठने कहा. जैसे ही बहन उस पर बैठने गई उसके स्पर्श से बच्चा रोने लगा. बड़ी बहन एक दम से चौंक गई. उसने कहा अरे तू मुझे कहाँ बैठा रही थी. यहाँ तो तेरा लाल हैं. अभी मर ही जाता. तब छोटी बहन ने बताया कि मेरा पुत्र तो मर गया था, पर तुम्हारे पुण्यों के कारण तुम्हारे स्पर्श मात्र से उसके प्राण वापस आ गये. उसके बाद से प्रति वर्ष सभी गाँव वासियों ने शरद पूर्णिमा का व्रत करना प्रारंभ कर दिया.
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का महत्व होता हैं.
इस दिन सुबह जल्दी नहाकर नए वस्त्र धारण किये जाते हैं.
पुरे दिन का उपवास किया जाता हैं.
संध्या के समय लक्ष्मी जी की पूजा की जाती हैं.
इसके बाद चन्द्रमा के दर्शन कर उसकी पूजा करते हैं, फिर उपवास खोलते हैं.
रतजगा किया जाता हैं. भजन एवम गीत गायें जाते हैं. रात्रि बारह बजे बाद खीर का प्रसाद वितरित किया जाता हैं.
इस प्रकार यह त्यौहार विधिवत रूप से मनाया जाता हैं.
शरद पूर्णिमा कविता शायरी
गोपियों संग रास रचाये कृष्ण कन्हैया बंसी बजाये शरद की भीनी भीनी सी खुशबू प्रेम का नया गीत जगाये
=============
चाँद सी सुंदर सजी मेरी गुडिया दीप जलाये दहलीज पर खड़ी हैं पूरी करो उसके मन की मुराद प्रिय के इंतजार में वो सजी हैं
=============
खुबसूरत सा खिला हैं चाँद आसमान की रौनक बन उठा हैं चाँद पिय के नैनो में बसा हैं चाँद शरद पूर्णिमा का हैं यह चाँद
=============
हे !मन मोहना, तू बसा मेरे नैन
तू छाड़ी दीयों, मुझे न मिले चैन
तड़पाती जाये यह विरह भरी रैन
ढूंढे तुझे हर जगह मेरे भीगे नैन
ये चाँद इतराये कहे, तू भूल गया मुझे
हर शरद तू बस, इसके अंग सजे
रचाये महारास तू गोपियों के संग
मैं सहती रहूँ विरह पीड़ा, हर अंग
ढूंढत फिरू तुझे मैं तुझे जहाँ तहाँ
कहाँ छोड़ गयों मुझे इस धरा
कर पूरी मुराद, हे कृष्ण कन्हैया
इस शरद तू बन, बस मेरा, बंसी बजैया
FAQ
Q : शरद पूर्णिमा कब है ?
Ans : अश्विनी माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं.
Q : शरद पूर्णिमा 2023 में कितनी तारीख को है ?
Ans : 28 अक्टूबर को
Q : शरद पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है ?
Ans : चंद्रमा निकलने के बाद.
Q : शरद पूर्णिमा में भगवान को किस चीज का भोग लगाया जाता है ?
Ans : खीर या रबड़ी का.
Q : शरद पूर्णिमा की कथा क्या है ?
Ans : ऊपर लेख में दी हुई है.