गुम है किसी के प्यार में सवी को इन्साफ मिलने पर ईशान और सवी के बिच हुई दोस्ती

जैसा की आखिरी में आयुष अपना गुनाह कबूल कर लेता है और उसे ईशान सजा सुना देता है

आयुष को ईशान भोसले इंस्टिट्यूट से rusticate कर देता है

जिसके बावजूद सवी को मारने का इल्जाम आयुष के पिता पर लगाया जाता है

आयुष के पिता इस बात से मन करते है और उसी वक़्त सवी ईशान के बारे में सोचने लग जाती है

ईशान पर सवी उसे मारने के लिए भेजने वाले की बात याद करके ईशान को गलत प्रूफ करती है

सवी कहती है की मुझे मारने के लिए आयुष के पिता ने नहीं बल्कि ईशान सर आपने खुद भेजा है

ईशान इस बात को साबित करता है और पुणे की फेमस रिपोर्टर को बुलाता है और सवी को प्रूफ करता है

और साथ ही सवी को इन्साफ दिलाता है जिसे देखके सवी को बेहद ख़ुशी होती है

जिसके बाद सवी ईशान से ख़ुशी से थैंक्यू बोलती है और दोनों के बिच सुलाह हो जाती है